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The Magic of Aryan's Language: Creating Laughter and Memories

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7m 45sDecember 27, 2023

The Magic of Aryan's Language: Creating Laughter and Memories

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  • सूर्य का किरण दानवत पड़ रहे थे सब जगह और जीवन की धड़कन भीड़भाड़ वाले बाजार में तेजी से दिखाई दे रही थी। इस बाजार में न ही कोई आराम था और न ही कोई खलाल। इसी सरसराती आवाज़ में किसी की हंसी संगीत की तरह गुंज रही थी। यह स्वर एक तरफ आर्यन का था और दूसरी ओर दुकानदार राजेश का।

    The rays of the sun were shining brightly everywhere, and the hustle and bustle of life was evident in the crowded market. There was neither comfort nor chaos in this market. Amidst the buzzing sound, laughter resonated like music. One voice belonged to Aryan, while the other belonged to the shopkeeper Rajesh.

  • आर्यन एक स्मार्ट लड़का था,किंतु उसका विशेष शौक हिंदी और अंग्रेजी शब्दों को मिलाने का था। उसे लगा सामान्य भाषाभाषण से हवा में कुछ नया तड़का जोड़ना चाहिए। बस उसी कड़ी में आर्यन आज बाजार में दुकानदार राजेश के साथ मोलभाव कर रहा था। उसने "हेलो राजेश भैया, मुझे एक 'खास ब्राउन गजर' चाहिए," कहा।

    Aryan was a smart boy, but his special interest was in combining Hindi and English words. He thought that ordinary conversations needed a fresh twist. It was in this thought process that Aryan was bargaining with Rajesh in the market today. He said, "Hello Rajesh bhaiya, I want a 'special brown carrot'."

  • राजेश की आंखों में चक्कर आ गया। आर्यन की अद्वितीय भाषा ने उसे परेशान कर दिया था। वह उसे देख रहा था जैसे झूले में चढ़ा हुआ बालक।

    Rajesh was taken aback. Aryan's unique language had confused him. He was staring at him as if he was a child seated on a swing.

  • तभी पास से नेहा गुजरती हुई, अपनी मुस्कान सब को बांटती जो आर्यन की सहेली थी, उसने राजेश से बड़ी ही सभ्यता से कहा," भैया, आर्यन को वो खट्टी मिठी गाजर दीजिये, उसे 'खास ब्राउन गजर' ही कहता है।" राजेश ने सांस छोड़ी और दुकान के कोने में पड़ी गाजर की ट्रे से नेहा को गाजर दी।

    Just then, Neha walked by, sharing her smile with everyone. She was Aryan's friend. She politely said to Rajesh, "Brother, please give Aryan those 'sour-sweet carrots.' That's what he calls them, 'special brown carrots'." Rajesh took a breath and handed Neha a carrot from the tray in the corner of the shop.

  • आर्यन की मिथ्या भाषा ने एक नई खट्टी-मिठी याद बांधी थी बाजार की गलियों में। सभी ने मिलकर अपनी हंसी छोड़ दी और कहानी की अंतिम छूट संतोषजनक थी।

    Aryan's playful language had created a new sour-sweet memory in the streets of the market. Everyone laughed together, and the end of the story was satisfying.