A Market Deception: The Tale of Arav's Illusion
FluentFiction - Hindi
A Market Deception: The Tale of Arav's Illusion
हलचल भरे बाजार में दिन की ताजगी के संग लोगों की घुटनी की आवाज भी सुनाई दे रही थी। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, पुरुष, हरे-भरे सब्जियों की दुकानों से लेकर चीखती मीर्चों की खुशबू तक, सब मिलकर बाजार का महौल और भी ज़िन्दादिली भर देते थे।और उसी बीहड़ बाजार में, हमारे आरव भी डरोडबो में घुम रहे थे।
In a bustling market filled with the freshness of the day, the sound of people's footsteps could be heard. Children, old people, women, men, from the shops filled with green vegetables to the fragrance of screaming chilies, everything together filled the market with liveliness. And in that chaotic market, our Arav was wandering around in his disguise.
आरव, एक साधारण युवक था पर उसके पास थी अद्वितीय होने की क्षमता। आज उसने ने अपनी चपलुसी और झूठी शोहरत की चमक दमक को वाढ़ियाँ देने का ठान लिया था। आरव ने अभिनय की एक ऐसी कला अपनाई थी की उसने खुद को एक प्रसिद्ध अभिनेता के रूप में बदल दिया था और इस सच को इतने स्तर पर प्लांट किया की लोगों को बिल्कुल असलियत का एहसास नहीं हुआ।
Arav was an ordinary young man, but he possessed the unique ability to be extraordinary. Today, he had decided to enhance his flattery and fake fame. Arav had embraced the art of acting in such a way that he had transformed into a famous actor himself, and he had planted this truth so deeply that people didn't even realize the reality.
सड़क पर बच्चे खेल रहे थे, पकोड़ा वाला चिल्ला रहा था, दुकानदार माल बेच रहे थे और बीच में आरव, 'शान दा अभिनेता' आवाज़ गूंज रही थी। लोगों का ध्यान आरव की ओर खिंचा जाता था। जब उसने पहली बार कहां इतराते हुए, "हां, मैं ही हूँ वही कला का करिश्मा, फिल्म इंडस्ट्री की आँखों का तारा, आरव!" तब उसके आसपास खड़े लोगों की भीड़ बढ़नी शुरू हुई। लोग उसे देखने, उससे बात करने, उसके साथ सेल्फी लेने के लिए उत्साहित होने लगे।
Children were playing on the street, the fritter vendor was shouting, shopkeepers were selling their goods, and in the middle was Arav, his voice echoing as 'The prideful actor.' People's attention was drawn towards Arav. When he first proudly proclaimed, "Yes, I am the magical spell of art, the star in the eyes of the film industry, Arav!" the crowd around him started to grow. People started to become excited to see him, to talk to him, and to take selfies with him.
बाजार में एक खास हलचल सी छा गई थी। प्रिया और देविका, दोनों ही आरव की बड़ी प्रशंसक थीं। वो भी उस खुशनुमा भीड़ में शामिल हो गईं, मस्ती करने और आरव के साथ स्वप्निल स्थल की चर्चाओं की सेल्फी लेने।
The market was buzzing with exceptional excitement. Priya and Devika, both were Arav's big fans. They too joined in the joyous crowd, enjoying themselves and taking selfies with Arav amidst their discussions about the dreamy location.
भीड़ बढ़ती गई और आरव की हंसी बढ़ती गई। पर जैसे ही शाम का सूरज अपने आखिरी संध्या काल पर पहुँचा, लोगों के आवेग और उत्साह भी शांत हो गया। अंतिम तौर पर, जब सब चुप हो गए थे, आरव मुस्कान के साथ अपनी असलियत का खुलासा किया।
The crowd grew, and Arav's laughter increased. But as the evening sun reached its last twilight, the excitement and enthusiasm of the people also subsided. Finally, when everyone became silent, Arav revealed his true identity with a smile.
मैंने तुम सबको खूब छल किया, मैं कोई अभिनेता नहीं हूं जैसा कि चर्चा हो रही थी। ना ही मैंने कभी किसी फिल्म में काम किया है और ना ही मैंने आप लोगों के सामने अभिनय किया है। यह सब बस एक छोटी सी नाटक की कहानी थी जिसमें आप सभी शामिल हो गए।
"I tricked all of you, I am not an actor like the rumors. I have never worked in any film and I have never performed in front of you all. It was all just a small play, in which all of you participated."
लोग हसने लगे, कुछ लोग नाराज़ भी हुए पर खुश हुए क्यूंकि उस दिन उन्हें एक ऐसी कहानी मिली जिसे वो अपने आगे वाले पीढ़ियों को सुना सकते। आरव उनसे माफ़ी मांगता हुआ बाजार से हट गया जैसे कि वह आ भी नहीं था। और फिर, शायद यही जीवन का रंग है; असली और नकली, सच और झूठ का मेल-जोल।
People began to laugh, some became angry, but they were also happy because that day they had come across a story that they could pass on to the next generations. Arav apologized to them and left the market as if he never existed. And then, perhaps this is the color of life - the merger of real and fake, truth and falsehood.