The art of bargaining: A comical misunderstanding in the bustling market
FluentFiction - Hindi
The art of bargaining: A comical misunderstanding in the bustling market
राहुल और प्रिया भीड़भाड़ वाले बाज़ार में घूम रहे थे।
Rahul and Priya were wandering in the bustling market.
गर्मी के इस दिन, उन्होंने एक खुशनुमा चित्रकार की दुकान देखी।
On this hot day, they came across a vibrant painter's shop.
राहुल की निगाहें एक खूबसूरत पारंपरिक भारतीय चित्र पर जम गई थीं।
Rahul's eyes were fixated on a beautiful traditional Indian painting.
"कितने का है ये?
"How much is this?"
" राहुल ने पूछा।
Rahul asked.
"सहस्त्र रुपये," चित्रकार ने बिना झिझक कह दिया।
"A thousand rupees," the painter replied without hesitation.
राहुल कुछ देर सोचने के बाद बोले, "सुनो, मैं तुम्हें 500 रुपये देता हूँ।
After contemplating for a while, Rahul said, "Listen, I'll give you 500 rupees.
यही अंतिम दाम है।
This is my final offer."
" ये सुनकर चित्रकार बहुत ही आहत हो गए।
The painter was deeply offended by this statement.
"यह मेरी कला का अपमान है।
"This is an insult to my art," the painter retorted.
" चित्रकार भड़के।
After a brief moment of reflection, Rahul said, "Alright brother, I'll give you 700 rupees."
राहुल ने क्षणभंगुर चिंतन के बाद, "ठीक है भैया, मैं तुम्हें 700 रुपए दूंगा”।
But the painter was obstinate, "I don't need your bargain rupees.
पर चित्रकार थे कहाँ मानने वाले,"नहीं चाहिए मुझे आपके सौदेबाजी वाले रुपये, आप जायिए यहाँ से।
Just leave."
"इतना सुनने पर प्रिया ने हँसने का प्रयास किया और चुपचाप राहुल को खींचकर दूसरी ओर चल दी।
Upon hearing this, Priya attempted to suppress a laugh and silently pulled Rahul in the opposite direction.
बाज़ार की गलियों में घूमते हुए राहुल ने अपमानजनक घटना का सोचा और मुँह चिढ़ाओ मुस्कान के साथ प्रिया को देखा।
As they walked through the market lanes, Rahul pondered over the humiliating incident and saw Priya with a teasing smile.
उन्होंने सोचा कि आगे चलकर सौदेबाजी करना सीखने की जरूरत है, खासकर तब जब वह कला और हुनर के साथ सौदेबाजी कर रहे हों।
He thought that moving forward, he needed to learn the art of bargaining, especially when he was involved in the trade of art and craftsmanship.
यह एक कठिन सबक था जिसे राहुल ने आज सीखा था, परन्तु यह वाकई एक हास्यास्पद ग़लतफ़हमी थी।
It was a challenging lesson that Rahul had learned today, but it was truly a comical misunderstanding.