Journey of Revelation: A Grandfather's Wisdom in the Streets of Mumbai
FluentFiction - Hindi
Journey of Revelation: A Grandfather's Wisdom in the Streets of Mumbai
मुंबई की बीहड़ गलियों में आरव ने अपनी नजर उठाई। आरव को यहां का नजारा कुछ नया था। मंडराती रल्लियों का शोर, जầu भरे लोगों की भीड़, और उनकी अजनबी हँसी; ये सब उसे एक नई दुनिया में ले गये।
In the crowded streets of Mumbai, Arav lifted his gaze. The sight here was something new for Arav. The noise of bustling rallies, the throng of busy people, and their unfamiliar laughter; all of this took him into a new world.
उसकी आँखों में भटकते-भटकते, आरव एक छोटी सी दुकान पर पहुंच गया। वह दुकान एक स्ट्रीट वेंडर की थी, जिसे गोपाल कहते थे। गोपाल ने आरव को दादाजी-सा मिलने का न्योता दिआ, जिसे आरव खुशी-खुशी स्वीकार किया।
Wandering around, Arav arrived at a small shop. The shop belonged to a street vendor named Gopal. Gopal extended an invitation for Arav to meet him like a grandfather, which Arav happily accepted.
गोपाल पुरानी बॉम्बे की कहानियों से आरव को परिचित कराता गया। हर चाय के कप के साथ एक नई चर्चा, हर गुपचुप समोसे के साथ एक नई कहानी। गोपाल के साथ बिताए वक्त के दौरान, आरव को मुंबई की असलियत का एहसास हुआ।
Gopal acquainted Arav with the tales of old Bombay. A new discussion with every cup of tea, a new story with every silent samosa. During the time spent with Gopal, Arav came to realize the reality of Mumbai.
एक बार, जब गोपाल आरव को छात्रापती शिवाजी टर्मिनस से चुनावती भीड़ दिखा रहा था, तो आरव गुम हो गया। वह भयभीत हो गया, लेकिन उसने गोपाल से सिखाए गए पाठों का पालन किया। उसने अपने चारों ओर देखा और देखा कि आस-पास के लोगों का ध्यान अपने काम में लगा हुआ है। उसने गहरी सांस ली, अपने हौंसले को संजोया और अपने आप को संयोजित किया।
Once when Gopal showed Arav the election crowd at Chhatrapati Shivaji Terminus, Arav became lost. He was scared, but he followed the lessons taught by Gopal. He looked around and saw that the people around him were focused on their work. He took a deep breath, strengthened his courage, and composed himself.
तथापि, उसका भय तब तक नहीं टूटता, जब तक उसने अपनी आँखों के कोने में एक परिचित चेहरा नहीं देख लिया। यह गोपाल था, जिसने उसके लिए उसी पुरानी स्माइल के साथ चाय बनाई हुई थी। गोपाल के पास लौटने पर, आरव की तनाव और भय की लहर सोंप गई, और उसने आत्म-हंसी की कि वह कितनी आसानी से खो गया था।
However, his fear did not dissipate until he saw a familiar face in the corner of his eye. It was Gopal, who had made tea for him with the same old smile. When Gopal returned, Arav's wave of tension and fear subsided, and he chuckled at how easily he had lost himself.
ऐसे ही कुछ सप्ताह में, आरव ने जितनी मुंबई समझी, उतनी शायद किसी टूर गाइड से संभव न होती। वह अब भीड़ भरी सड़कों से डरता था, लेकिन अब वह अपने डर का सामना कर सकता था। और गोपाल? उसके भीतर उसने एक हद तक अपने आप को खोजा था।
In just a few weeks, Arav understood as much about Mumbai as perhaps not possible with a tour guide. He still feared the crowded streets, but now he could face his fears. And Gopal? He had been exploring himself to a certain extent.
मुंबई की गलियों में भटकने वाली भीड़, बेचानी, और निर्धारितता ने आरव को अपना आत्म-संघर्ष समझाया।
The crowd, restlessness, and determination in the streets of Mumbai enlightened Arav about his inner struggle.