Courage Over Competition: Rohan's Inspiring Debate Journey
FluentFiction - Hindi
Courage Over Competition: Rohan's Inspiring Debate Journey
कड़कती ठंड थी और मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक था।
It was biting cold, and the festival of Makar Sankranti was approaching.
दिल्ली के भव्य कैपिटल बिल्डिंग में स्कूल बहस प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया था।
A school debate competition was organized at the magnificent Capital Building in Delhi.
चारों ओर विद्यार्थियों की चहल-पहल थी।
There was a buzz of students all around.
ऊंची-ऊंची स्तंभों वाली इस सुंदर इमारत में सबकी निगाहें प्रतियोगिता पर टिकी थीं।
In this beautiful building with tall pillars, everyone's eyes were fixed on the competition.
इस बार प्रतियोगिता में एक खास प्रतिभागी था - रोहन।
This time, there was a special participant in the competition - Rohan.
रोहन एक होशियार लेकिन शर्मीला छात्र था।
Rohan was a smart but shy student.
उसके भीतर बोलने की चाहत तो थी, लेकिन मंच पर जाकर वह अक्सर नर्वस हो जाया करता था।
He had the desire to speak, but he often became nervous when getting on stage.
दूसरी ओर, कव्या थी, जो आत्मविश्वास से भरी अपनी तीखी बहस करने की कला के लिए जानी जाती थी।
On the other hand, there was Kavya, known for her confident and sharp debating skills.
रोहन और कव्या के बीच हमेशा एक हल्का प्रतिद्वंद्विता रहती थी।
There was always a mild rivalry between Rohan and Kavya.
नेहा, रोहन की खास दोस्त, दोनों को प्रोत्साहित करती थी।
Neha, Rohan's close friend, encouraged both.
उसने रोहन को कहा, "डर मत, रोहन।
She told Rohan, "Don't be afraid, Rohan.
तुममें क्षमता है और तुम जीत सकते हो।
You have the ability, and you can win.
बस खुद पर विश्वास रखो।
Just believe in yourself."
" रोहन ने ठान लिया कि वह जी-जान से तैयारी करेगा और डर का सामना करेगा।
Rohan decided to prepare with all his might and face his fears.
उसने हर दिन अभ्यास किया और खुद को चुनौती देने का फैसला किया।
He practiced every day and resolved to challenge himself.
प्रतियोगिता का दिन आ पहुँचा।
The day of the competition arrived.
प्रतियोगिता शुरू हुई और पहले राउंड में रोहन ने अपने तर्कों से सबका ध्यान खींचा।
The competition began, and in the first round, Rohan captured everyone's attention with his arguments.
धीरे-धीरे, वह फाइनल राउंड तक पहुँच गया जहां उसका सामना कव्या से था।
Gradually, he reached the final round where he faced Kavya.
मंच पर खड़ा हो कर उसे एक निर्णय लेना था।
Standing on stage, he had to make a decision.
क्या वह अपनी बात को पूरी शक्ति से कहेगा, या जीतने के लिए सुरक्षित रास्ता चुनेगा?
Would he express his views with full strength, or choose the safe route to win?
अंत में, रोहन ने वही कहा जो वह सच्चे मन से मानता था।
In the end, Rohan said what he truly believed.
उसकी सच्चाई और उत्साह ने जजों को प्रभावित किया।
His honesty and enthusiasm impressed the judges.
यद्यपि कव्या ने थोड़े से अंतर से जीत हासिल की, लेकिन रोहन ने सबका दिल जीत लिया।
Although Kavya won by a small margin, Rohan won everyone's heart.
उसने स्वयं को साबित किया कि जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण है साहस और विश्वास।
He proved to himself that courage and belief are more important than winning.
इस अनुभव ने रोहन को नया आत्मविश्वास दिया।
This experience gave Rohan newfound confidence.
उसने महसूस किया कि हारना बुरा नहीं है, बल्कि सीखना और आगे बढ़ना ही असली जीत होती है।
He realized that losing isn't bad, but learning and moving forward is the real victory.
कैपिटल बिल्डिंग के बाहर निकलते हुए, उसका चेहरा गर्व से दमक रहा था और मन में एक नया संकल्प था।
As he exited the Capital Building, his face shone with pride and there was a new determination in his heart.